भगवान शनि को न्याय के देवता और कर्मफल दाता माना जाता है। वे सूर्य पुत्र हैं और नवग्रहों में सबसे अधिक प्रभावशाली माने जाते हैं। शनिदेव का प्रभाव मनुष्य के कर्मों पर पड़ता है और वे उसे उसके कर्मों के अनुसार शुभ या अशुभ फल प्रदान करते हैं। श्री शनि चालीसा भगवान शनि की स्तुति करने का एक प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसका पाठ करने से व्यक्ति को उनके अनुकूल प्रभाव प्राप्त होते हैं और जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
श्री शनि चालीसा का महत्व
श्री शनि चालीसा का पाठ करने से भगवान शनि की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में शांति एवं समृद्धि का संचार होता है। शनिदेव की कृपा से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसे सफलता प्राप्त होती है। जिन लोगों की कुंडली में शनि की साढ़े साती या ढैया चल रही होती है, उनके लिए यह चालीसा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।
श्री शनि चालीसा के लाभ:
✅ शनि की अशुभ दशा और साढ़े साती के प्रभाव को कम करता है।
✅ जीवन में आने वाली बाधाओं और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
✅ कार्यों में सफलता और धन-समृद्धि प्राप्त होती है।
✅ मानसिक शांति और आत्मबल में वृद्धि होती है।
✅ शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।
॥ दोहा ॥
जय-जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महराज।
करहुं कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय शनिदेव दयाला।
सदा करत हो भक्तन प्रतिपाला॥
श्याम रूप तन, भाल विशाल।
भक्तन के तुम, संकट निवार॥
मस्तक मुकुट, दमकति ज्योती।
भृकुटि विकराल, नयन अति रोती॥
कर में गदा, त्रिशूल अनूपा।
दुष्ट दलन, करै संत सूपा॥
रवि सुत क्रूर, चंचल नंदन।
कोणस्थ, मन्द, सुरील वरंदन॥
पिंगल रूप, दीन दुख हारी।
यम संज्ञा, जगत तम हारी॥
जाके ऊपर कृपा तुम्हारी।
तिनके काज बने सुखकारी॥
जिन पर तुम प्रसन्न भवानी।
रंक से राव, करे पल माहीं॥
राजा हरिश्चंद्र को सताया।
स्त्री-पुत्र, धन-राज्य गंवाया॥
पांडव पर जब दशा तुम्हारी।
अज्ञातवास भोगे भारी॥
लंकापति रावण को मारा।
रामचंद्र को बन में डारा॥
नृप विक्रम जब शनि सताए।
तोहिं तेल से तुझे मनाए॥
शेष महेश समेत पुकारे।
रवि को ग्रसि, छोड़ तब तारे॥
वाहन सात, विविध हैं भाई।
गज, मृग, सिंह, गदहे सुखदाई॥
कभी स्वान, गधा बन आवे।
तो समझो, कष्ट बढ़ावे॥
जो यह पाठ करे मन लाई।
शनि कष्ट हर, सुख समाई॥
शनिवार व्रत करें सदा जो।
उन पर कृपा करें प्रभु मोहो॥
कहत राम प्रभु दीनदयाला।
शनि देव हरो दुख भाला॥
॥ इति श्री शनि चालीसा संपूर्णम् ॥ 🚩
शनि चालीसा पाठ विधि
- प्रातःकाल स्नान कर नीले वस्त्र धारण करें।
- शनिदेव के चित्र या मूर्ति के समक्ष दीप जलाएं।
- सरसों के तेल का दीपक जलाकर श्री शनि चालीसा का पाठ करें।
- प्रत्येक शनिवार को इस चालीसा का पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
- किसी गरीब या जरूरतमंद को दान करें, जिससे शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होगी।
श्री शनि चालीसा का पाठ जीवन में शनि के शुभ प्रभावों को बढ़ाने और उनके क्रोध को शांत करने का एक अत्यंत प्रभावशाली उपाय है। इसे नित्य पढ़ने से जीवन में समृद्धि, शांति और सफलता प्राप्त होती है। शनिदेव की असीम कृपा से भक्तों के सभी संकट दूर हो जाते हैं और वे अपने जीवन में उन्नति की ओर अग्रसर होते हैं।
॥ जय श्री शनिदेव ॥