माँ दुर्गा को शक्ति, पराक्रम और सौभाग्य की देवी माना जाता है। वे सृष्टि की रक्षा करने वाली शक्ति स्वरूपा हैं और दुष्टों का संहार करती हैं। भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण करने के लिए माँ दुर्गा की पूजा की जाती है। श्री दुर्गा चालीसा एक ऐसा पवित्र स्तोत्र है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की महिमा और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों को शक्ति, सुख-समृद्धि, और सफलता प्राप्त होती है।
श्री दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह भय, संकट और शत्रु बाधाओं से मुक्ति दिलाने वाला स्तोत्र है। माँ दुर्गा की कृपा से जीवन में शांति और सौभाग्य आता है।
श्री दुर्गा चालीसा के लाभ:
✅ नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से रक्षा होती है।
✅ मानसिक और शारीरिक बल की वृद्धि होती है।
✅ आर्थिक समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
✅ ग्रहों के दोषों और जीवन की बाधाओं का नाश होता है।
✅ घर में सुख-शांति और सकारात्मकता बनी रहती है।
॥ श्री दुर्गा चालीसा ॥
॥ दोहा ॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥
॥ चौपाई ॥
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृशुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ संतन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
ष्णा निपट सतावें।
रिपू मुरख मौही डरपावे॥
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला॥
जब लगि जिऊं दया फल पाऊं।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥
🙏 जय माता दी! 🙏
दुर्गा चालीसा पाठ विधि
- प्रातः स्नान कर लाल वस्त्र धारण करें।
- माँ दुर्गा के चित्र या मूर्ति के सामने दीप जलाएं।
- दुर्गा चालीसा का पाठ पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करें।
- नवरात्रि, मंगलवार और शुक्रवार को इसका पाठ करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।
श्री दुर्गा चालीसा माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का एक अद्भुत स्तोत्र है। इसे नित्य पढ़ने से जीवन में भयमुक्ति, समृद्धि और शक्ति प्राप्त होती है। माँ दुर्गा की असीम कृपा से भक्तों के सभी संकट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
॥ जय माता दी ॥ 🚩