महाभारत के युद्धभूमि कुरुक्षेत्र में, अर्जुन अपने ही संबंधियों और गुरुओं के विरुद्ध युद्ध करने के मोह और दुविधा में डूब गए। तभी सारथी बने श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश दिया – जीवन, आत्मा, कर्म और धर्म का अद्वितीय सार। उन्होंने बताया कि आत्मा अमर है, और सच्चा कर्तव्य अपने स्वधर्म का पालन करना है, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों।
यह लीला हमें सिखाती है कि मोह, भय या परिणाम की चिंता छोड़कर, धर्म और सत्य के मार्ग पर अडिग रहना ही मानव जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य है।